नमस्कार दोस्तों मै रंजीत पोद्दार बहुत बहुत स्वागत करता हु आप सभी का हमारे चैनल पे ! क्या आप भगवन को मानते है क्या आप कभी मंदिर गए हो गए हो तो मंदिर में पुजारी को तो जरूर देखा होगा ! हमारा भारत एक आस्था, विश्वास और भक्ति- का देश पुराने काल से ही माना जाता आ रहा है ! इस भारत देश में बहुत से देवी देवता के मंदिर आप को देखने को मिल जाएंगे आज मैं आप सभी को इसी भारत में इस्थित एक बेहद ही खाश नादिर के बारे में बताने जा रहा हूँ ! इस बेहद खास मंदिर में पुजारी की भूमिका सिर्फ महिलाएं ही निभाती हैं। भारत आस्था का देश है यहां के मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं जैसा की मैं पहले ही बता चूका हूँ । अक्सर आपने मंदिरों में पुरुष पुजारी ही देखें होंगे लेकिन हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सिर्फ महिलाएं ही पुजारी के रूप में नजर आती हैं। इस मंदिर को श्राप मुक्ति स्थल कहा जाता है। यह मंदिर बिहार के दरभंगा जिले के कमतौल में स्थित है। इस मंदिर में देवी अहिल्या विराजित हैं। क्या है मान्यता !मान्यता ये भी है कि गौतम ऋषि जी के श्राप से पत्थर बन गई देवी अहिल्या का उद्धार त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने किया था, उसी तरह जो लोग भारत में रामनवमी के दिन गौतम और अहिल्या स्थान कुंड में स्नान कर अपने कंधे पर बैंगन का भार लेकर मंदिर आते हैं और बैंगन का भार चढ़ाते हैं तो उन्हें सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। देवी अहिल्या कौन थी !देवी अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार स्वर्गलोक के राजा इंद्रा देव देवी अहिल्या पर बहुत मोहित हो गए थे। इंद्र जानते थे कि देवी अहिल्या पतिव्रता स्त्री हैं। इसलिए जब गौतम ऋषि अपने आश्रम में नहीं थे कही वो बहार गए हुए थे ! तब इंद्र गौतम ऋषि का वेश बदल कर उसके आश्रम में पहुंच गए। इंद्र जब ऋषि की कुटिया से निकल रहे थे, उसी वक्त गौतम ऋषि आ गए और अपनी कुटिया से इंद्र को उनके वेष में निकलते देख पहचान लिया था ! तब गौतम ऋषि ने क्रोध में आकर अपनी पत्नी को पत्थर की शिला बनने का श्राप दे दिया था। गौतम ऋषि ने इंद्र को भी श्राप दिया कि उनका सारा वैभव नष्ट हो जाएगा। गौतम ऋषि के श्राप के कारण ही इंद्रलोक पर असुरों का अधिपत्य हो गया था। त्रेता युग में भगवान राम के चरणों के प्रताप से देवी अहिल्या श्राप मुक्त हुईं थीं। और वह पत्थर की सिला से मनुस्य रूप में आई थी ! जहां भगवान राम ने देवी अहिल्या का उद्धार किया था वहां आज भी उनकी पीढ़ी मौजूद है और उस जगह पर पुरूष पंडित की जगह महिला पुजारी ही पूजा कराती हैं। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस स्थान पर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। और अपनी मनो कामना पूरी करते है ! तो दोस्तों अगर आप यहां देवी अहिल्या की दरसन करना चाहते है तो आप को दरभंगा के कमतौल स्थित अहिल्या स्थान में आना होगा ! धन्याबाद दोस्तों जय हिन्द जय भारत |
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