बिहार में चल रहे जमीन सर्वे के बीच एक बड़ी खबर आ रही हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में जमीन सर्वे को लेकर कुछ नए निर्देश दिए गए हैं। जिस निर्देश का पालन सभी जमीन मालिकों को अनिवार्य रूप से करना होगा।
बिहार में सभी जमीन मालिकों के लिए 4 नए निर्देश:
1 .महिलाओं के नाम का प्रवेश :- वंशावली में सभी महिलाओं का नाम दर्ज करना अनिवार्य है। अगर महिला शपथ पत्र के माध्यम से संपत्ति के हिस्सेदारी से मना करती है, तो उसका नाम खानापुरी प्रक्रम में दर्ज नहीं होगा। यदि सक्षम न्यायालय द्वारा बंटवारा हुआ है, तो उसके अनुसार ही नाम दर्ज होगा। वसीयतकर्ता यदि स्वअर्जित संपत्ति की वसीयत केवल पुत्रों के पक्ष में करता है, तो पुत्रियों के नाम से खाता नहीं खुलेगा। अन्य सभी दशाओं में महिलाओं को पिता की संपत्ति में नियमानुसार हिस्सा मिलेगा।
2 .रैयतों के अधिकार :- पहली जनवरी 1946 के समय आवंटन और जमींदारी उन्मूलन के समय रैयतों के नाम रिटर्न में अंकित होंगे और रसीद कट रही हो तो उत्तराधिकारी रैयत माने जाएंगे। ऐसे रैयतों के नाम से खाता खोला जाएगा। गैरमजरूआ भूमि के मामलों में, अगर हुकुमनामा और रसीदें 1946 से पहले की हैं और रैयत का दखल है, तो उन्हें लाभ मिलेगा। अगर रैयतों के पास बंदोबस्ती के दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं, तो सक्षम प्राधिकार द्वारा उनकी जांच कर उनका नाम खेसरा पंजी में दर्ज किया जाएगा।
3 .भूमिहीन रैयतों के लिए वासगीत पर्चा :- अगर संबंधित सभी रैयत भूमिहीन हैं और रैयती भूमि पर उनका मकान है, तो अंचलाधिकारी वासगीत पर्चा निर्गत करेंगे और उनके नाम और भूमि का विवरण खेसरा पंजी में दर्ज किया जाएगा।
4 .कागजात नष्ट होने पर लाभ :- जिन रैयतों के कागजात नष्ट हो गए हैं, वे भी लाभान्वित होंगे यदि उनका दखल रैयती भूमि पर है। इसको लेकर रजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा सभी जिलों के अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किया गया हैं।
News source :- https://dhunt.in/Y20eg
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